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बड़बोला कौवा - एक कहानी बच्चों के लिये जो आपको घमंडी होने से बचाती है

बड़बोला कौवा - एक कहानी बच्चों के लिये जो आपको  घमंडी होने से बचाती है
समुद्र तट पर बसे किसी एक बहुत बड़े नगर में एक धनवान व्यक्ति के पास एक पालतू कौवा  था यह धनी व्यक्ति इस कौवे को हमेशा अपने भोजन से जो भी खाना बचता वह उसे दे देता धनी व्यक्ति की जूठन से बचा हुआ खाना बहुत ही स्वादिष्ट होता था और शरीर को बलिष्ठ करने वाला भी होता था वह लगातार ऐसे  भोजन खाकर खूब मोटा तगड़ा हो गया था 


वह अपने आपको दूसरे पक्षियों से बहुत अधिक श्रेष्ठ समझने लगा था दूसरे पक्षी उसे कुछ भी नहीं लगते थे और वह लगातार दूसरी पक्षियों का अपमान करने लगा एक दिन कहीं किसी दूर देश से समुंद्र के इस तट पर उड़ते हुए  कुछ हंस प्रजाति के पक्षी आकर बेठ गये 


कौवे का मालिक धनवान व्यक्ति इन हंसो को देखकर उनकी बहुत प्रशंसा कर रहे थे और इस प्रशंसा को देखकर कौवे को जलन हुई और उससे यह प्रशंसा सही नहीं गई वह उन हंसो के पास जाकर उनमें से जो सबसे अधिक श्रेष्ठ हंस उसे मालूम हुआ उसको वह बोला 


मैं तुम्हारे साथ एक उड़ान की प्रतियोगिता करना चाहता हूं हंस बड़े समझदार थे उन्होंने उस कौवे को बहुत समझाया वह बोले भाई हम हंस तो बहुत दूर दूर तक उड़ने वाले होते हैं । हमारा रहने का स्थान मानसरोवर बहुत बहुत कोसों दूर है । हम हंस के साथ उड़ने की प्रतियोगिता करके तुम्हें क्या फायदा होने वाला है । और तुम हम हंसो के साथ कैसे उड़ पाओगे कौवा बहुत ही अभिमानी था । उसने गुरूर में आकर कहा मैं उड़ने की बहुत सी गतियां और तरीके जानता हूं और मेरे उड़ने के तरीके और कौशल से मैं बहुत दूर तक उड़कर जा सकता हूं । कौवा अभिमान से भरा हुआ बक-बक करता ही रहा उसने अपने कई उडने के तरीकों के बारे में बढ़ा चढ़ाकर बताया और हंस से कहा बताओ तुम कौन सा तरीके से उड़ना चाहते हो तब एक समझदार हंस ने कहां कौवा भैया तुम तो बहुत ही विद्वान प्रतीत होते हो परंतु मैं उड़ने की एक ही शैली जानता हूं जिसे सभी उड़ने वाले पक्षी जानते हैं और मैं भी उसी  तरीके से उड़ूगां गर्व से भरा कौवा और अधिक गौरवान्वित हुआ वह बोला चलो ठीक है तुम जो तरीका और शैली जानते हो उसी के अनुसार उड़ो उसी क्षण बहुत से अन्य पक्षी भी वहां पर आ गए 


और उन सबके सामने ही हंस और कौवा प्रतियोगितात्मक उड़ान के लिए समुंदर की और उड़े समुद्र के ऊपर आकाश में कौवे ने बहुत प्रकार की उड़ने कि शैलियों का प्रदर्शन किया उसने बहुत सारी कलाबाजियां हवा में दिखाई 


 कौवा अपनी पूरी शक्ति के साथ उड़ा और जल्द ही उस हंस से आगे निकल गया हंस अपनी मस्ती में मगन और अपनी साधारण मंद गति से ही उड़ता रहा यह देख कर कौवो की एक टोली बहुत प्रसन्न होने लगी परंतु थोड़ी ही देर में मामला पलटने लगा कोवे ने तेजी से उड़ने में अपनी सारी शक्ति लगा दी जिससे कि जल्द ही उसके पंख थकने लगे वह आराम करने के लिए इधर उधर पेड़ों को व पेड़ के दीपो को ताकने लगा परंतु उसको देखो उस अथाह समुद्र में पानी के अलावा कुछ भी नहीं दिखाई दे रहा था इस समय में हंस उड़ता हुआ उस कौवे से आगे निकल गया कौवे की उड़ने की गति धीरे धीरे कम होने लगी वह बहुत अधिक थक गया और ऊंची लहरों वाले खतरनाक जीवो से भरे समुद्र के अंदर गिरने की हालत में पहुंच गया हंस ने कौवे की ओर देखा तो पाया कि कौवा बहुत पीछे रह गया है 



तो हंस ने कौवे के पास जा कर कहा भाई तुम बार-बार पानी मे डूब रहे हो यह तुम्हारे उड़ने का कौन सा तरीका और शैली है हंस की इस बात को सुनकर अभिमानी कौवा बहुत ही शर्मसार हुआ और हंस से बोला हे हंस भाई हम कौवै केवल कायँ कायँ कर सकते हैं हमें दूर तक उड़ना नहीं आता मुझे अपने अभिमान और घमंड का दंड मिल चुका है कृपया मेरी सहायता करो और मेरा जीवन बचाओ पानी से भीगे हुए और बेचेत कोवे को इस हालत में देख कर हंस को उस पर दया आई हंस ने उस कौवै  को पैरों से  उठाया और हंस ने अपनी पीठ पर उसको लेकर रख लिया और उसे अपने ऊपर लादे हुए उस स्थान पर पहुंचा जहां से कौवा और हंस दोनों उड़े थे हंस ने उस कौवे  को फिर उसी धनवान व्यक्ति के घर पर छोड़ दिया ।


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