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The reward of honesty is the story of a poor logger Stories for children's ethical education-ईमानदारी का इनाम एक गरीब लकड़हारे की कहानी बच्चों को नैतिक शिक्षा के लिए कहानियां


ईमानदारी का इनाम

बच्चों के लिये प्रेरक कहानियां
बच्चों के लिये प्रेरक कहानियां
किशोर एक बहुत ही ईमानदार और सच्चा इंसान था  ! परंतु उसकी आर्थिक स्थिति  सही नहीं होने के कारण वह बहुत गरीब था ! अपने जीवन यापन के लिए किशोर दिनभर जंगल में सूखी लकड़ियों को  काटा करता और शाम होने पर उनका गठ्ठर बनाकर बाजार ले जाता और इन लकड़ियों को जो बेचने पर आमदनी होती । उससे अपने घर का सामान जैसे आटा नमक चीनी इत्यादि खरीद कर घर ले आता था ! और किशोर को अपनी इस मेहनत की कमाई पर संतोष था ! एक दिन वह लकड़ी काटने के लिए जंगल में गया ।  एक नदी के किनारे के ऊपर एक सूखे पेड़ की डाल काटने के लिए पेड़ पर चढ़ा था ! इस पेड़ की डाल को काटते समय उसकी कुल्हाड़ी हाथों से छूटकर नदी के अंदर गिर गई , वह पेड़ से उतर गया और अपनी कुल्हाड़ी को वापस लेने के लिए उसने नदी के अंदर बार-बार डुबकी लगाते हुए कुल्हाड़ी की खोज की परंतु उसे बहुत प्रयास के बाद भी अपनी कुल्हाड़ी नहीं मिली ! किशोर बहुत दुखी हुआ और दुखी होकर नदी के किनारे पर अपने सर को पकड़ कर रोने लगा ! उसकी आंखों से आंसू निकलने लगे क्योंकि वह बहुत गरीब था  !और लकड़ी काटने के लिए उसके पास अन्य दूसरी कुल्हाड़ी खरीदने के लिए पैसे का इंतजाम भी नहीं था वह सोच व चिंता में पड़ गया ! की कुल्हाड़ी के बगैर वह अपने परिवार का पालन पोषण किस प्रकार से करेगा ! उसे बार-बार यह चिंता सताए जा रही थी । तभी जंगल के देव को गरीब किशोर पर दया आ गई ! वह एक लड़के का वेश बनाकर प्रकट हुए और बोले भाई तुम्हें कौन सा दुख है ! कि तुम इतना रोये जा रहे हो किशोर उससे बोला मेरी कुल्हाड़ी हाथों से छूटकर इस पानी में गिर गई है ! अब मैं लकड़ी किस प्रकार से काटूंगा और कैसे अपने परिवार का पेट भरूंगा ! देवता ने  कहा तुम रो मत भाई मैं तुम्हारी कुल्हाड़ी निकालने का प्रयास करता हूं ! शायद मैं तुम्हें तुम्हारी कुल्हाड़ी निकाल कर दे दूं लड़के का रूप बनाए हुए देवता ने पानी के अंदर छलांग लगाई और एक सुनहरी धातु की कुल्हाड़ी लेकर बाहर निकला , और उसने कहा - तुम अपनी कुल्हाड़ी को ले सकते हो परंतु दुखी और रोते हुए किशोर ने सर उठा कर जब देखा तो यह कहा ये तो किसी अमीर धनी व्यक्ति की कुल्हाड़ी मालूम होती है !  मैं बहुत ही गरीब इंसान हूं ! और मेरे पास इस कुल्हाड़ी को बनाने के लिए इतना सोना कहां है ! यह सोने की कुल्हाड़ी मेरी नहीं है किसी और की है ! लड़के का रूप बनाए हुए देवता ने फिर दूसरी बार नदी के अंदर छलांग लगाई और इस बार चांदी की कुल्हाड़ी लेकर वह बाहर निकले और किशोर को जब देने लगे तो किशोर ने कहा - अरे भाई मेरे भाग्य इतने अच्छे कंहा जो सोने और चांदी  की कुल्हाड़ी मेरे पास हो तुमने मेरे लिए बहुत मदद का प्रयास किया है ! मगर मेरी कुल्हाड़ी आपको ना मिल सकी मेरी कुल्हाड़ी तो साधारण से लोहे की धातु से बनी है ! लड़के ने फिर तीसरी बार नदी में छलांग लगाई और इस बार वह किशोर की लोहे की कुल्हाड़ी बाहर लेकर निकला किशोर बहुत हर्षित और खुश हुआ और उसने उस लड़के को धन्यवाद दिया और उससे अपनी कुल्हाड़ी ले ली देवता ने अपना  रुप  किशोर को दिखलाया ! लकडहारे किशोर ने उन्हें प्रणाम किया और देवता को किशोर की ईमानदारी और सच्चाई पर बहुत ही प्रसन्नता हुई , और वह बोले मैं तुम्हारी ईमानदारी और सच्चाई से बहुत ही खुश हूं , और तुम  यह सोने के सिक्कै  सोने और चांदी की दोनों कुल्हाड़ियां भी अपने पास रख लो ! इतना सोना  और चांदी पाकर  किशोर एक धनी व्यक्ति बन गया ! अब वह लकड़ी काटने के लिए जंगलों में नहीं जाता था ! और उसके आर्थिक स्थिति के इस  परिवर्तन पर उसके दोस्त मंगतू ने किशोर से पूछा कि तुम आजकल जंगलों में लकड़ी काटने क्यों नहीं जाते हो , और तुम्हारे धनी हो जाने का कारण क्या है, किशोर बहुत ही ईमानदार आदमी था उसने अपनी सारी आप बीती बात मंगतू को बता दी लालची और स्वार्थी मंगतू ने सोने और चांदी को प्राप्त करने के लिए दूसरे दिन अपनी कुल्हाड़ी लेकर उसी जंगल में गया और उसी पेड़ पर लकड़ी काटना शुरु किया जहां से किशोर की कुल्हाड़ी नदी में गिरी थी  ! उसने जानबूझकर अपनी कुल्हाड़ी को नदी के अंदर गिरा दिया और वह भी पेड़ से नीचे उतर कर जोर जोर से रोने लग गया । जंगल के देवता मंगतू के रोने की आवाज सुनकर प्रकट हुए । वह जान गए कि यह इन्सांन तो लालच और लोभ के कारण ऐसा कर रहा है ! और मंगतू को सबक सिखाने की सोची और लड़के का रूप धारण किए हुए देवता ने नदी में छलांग लगाई , और सोने की कुल्हाड़ी लेकर बाहर निकले तो मंगतू  ने जोर से कहा - यही है मेरी कुल्हाड़ी जंगल के देवता ने कहा तु तो  बहुत ही कपटी और लालची इंसान है ,तू झूठ बोलता है ,यह तेरी कुल्हाड़ी बिल्कुल भी नहीं है ! देवता ने उसकी कुल्हाड़ी को फिर से उस नदी के पानी के अंदर फेंक दिया , और वहां से गायब हो गए ,लालच की सजा मंगतू  को यह मिली ,कि उसने सोने और चांदी की कुल्हाड़ी के लालच में अपने लोहे की कुल्हाड़ी भी गंवा दी ,और रोता पछताता हुआ घर लौट आया कहानी का सबक यह है  ! कि हमें अपने लोभ और लालच के कारण अपने इमानदार अंतर्मन को नहीं मारना चाहिए ! सच्चा और ईमानदार मन आत्मशक्ति और सुख देता है !  --------------
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