हिरण मां के आशीष से शिकारी बना राजा - बच्चों के लिए प्रेरणादायक कहानी
राजा वीर प्रताप सिंह बहुत ही गरीब हुआ करते थे । और वे राज्य की सेना में एक सामान्य सैनिक हुआ करते थे । उन्हें शिकार करने का बहुत ही शौक था और अपने शौक के लिए एक दिन वे अपनी बंदूक और घोड़ा लेकर जंगल की तरफ शिकार खेलने के लिए चल निकले , उस दिन शाम तक शिकार नहीं मिला और पूरे दिन वह इधर से उधर दौड़ते भागते रहे बहुत तलाशने के बाद उन्हें एक हिरनी और उसका बच्चा दिखाई दिए वीर प्रताप सिंह ने हाथ में आए शिकार को पाने के लिए अपने घोड़े को उस हिरनी और उसके बच्चे के पीछे दौड़ा दिया
कुछ दूर पीछा करने पर हिरनी झाड़ियों में जाकर कहीं पर छुप गई परंतु हिरणी का बच्चा बहुत ही छोटा था । उसके समझ में कुछ नहीं आया और वह उस हिरनी से पीछे रह गया राजा वीर प्रताप सिंह ने हिरण के बच्चे को पकड़ लिया
और उस हिरण कि छोटे बच्चे को उन्होंने अपने घोड़े के पीछे लाद दिया उसके बाद राजा वीर प्रताप सिंह हिरणी को ढूंढने के लिए जंगल में इधर उधर तलाश की परंतु हिरणी उन्हें कहीं पर भी नहीं मिली तो वह उस बच्चे को लेकर वापस अपने राज्य की ओर चल पड़े हिरनी ने यह सब कुछ झाड़ियों के पीछे छुप कर देखा
उसके बच्चे को शिकारी लिए हुए जा रहा था वह अपने बच्चे के मोह को रोक नहीं पाई और हिरणी झाड़ियों से बाहर निकल आई और राजा वीर प्रताप सिंह के घोड़े के पीछे पीछे चलने लगी
काफी दूर जाकर राजा वीर प्रताप सिंह ने देखा की उनके घोड़े के पीछे हिरनी दौड़ती हुई आ रही है उन्हें आश्चर्य हुआ और हिरनी की ममता को देखकर उन्हें दया आ गई उन्होंने हिरण के बच्चे को घोड़े से उतार कर आजाद कर दिया हिरणी बहुत ही प्रसन्न हुई अपने बच्चे के साथ फिर से जंगल की ओर चली गई उसी दिन राजा वीर प्रताप सिंह अपने घर में लौटकर रात्रि को जब सो रहे थे तो उन्हें एक सपना आया उन्होंने सपने में देखा की कोई फरिश्ता उनसे कुछ कह रहा है वह फरिश्ता बोला आज तूने एक मां से दुआ ली है तुमने एक मां के बच्चे को फिर वापस लौटा दिया उस ममता की आशीष से महान देवताओं ने तुम्हें राजा बनाने की सोची है आने वाले समय में तुम अवश्य ही राजा बनोगे और ऐसा ही हुआ राजा वीर प्रताप सिंह का सपना सच साबित हुआ और वह आगे चलकर बहुत अच्छे और बड़े राजा बने उन्हें एक जीव पर दया करने का यह फल मिला इस कहानी से हमें शिक्षा व प्रेरणा मिलती है कि जो जीवो पर दया करता है उनके प्रति दया और सम्मान का भाव रखता है उन पर भगवान अवश्य रूप से ही प्रसन्न होते हैं और उन्हें अच्छा जीवन मिलता है
राजा वीर प्रताप सिंह बहुत ही गरीब हुआ करते थे । और वे राज्य की सेना में एक सामान्य सैनिक हुआ करते थे । उन्हें शिकार करने का बहुत ही शौक था और अपने शौक के लिए एक दिन वे अपनी बंदूक और घोड़ा लेकर जंगल की तरफ शिकार खेलने के लिए चल निकले , उस दिन शाम तक शिकार नहीं मिला और पूरे दिन वह इधर से उधर दौड़ते भागते रहे बहुत तलाशने के बाद उन्हें एक हिरनी और उसका बच्चा दिखाई दिए वीर प्रताप सिंह ने हाथ में आए शिकार को पाने के लिए अपने घोड़े को उस हिरनी और उसके बच्चे के पीछे दौड़ा दिया
कुछ दूर पीछा करने पर हिरनी झाड़ियों में जाकर कहीं पर छुप गई परंतु हिरणी का बच्चा बहुत ही छोटा था । उसके समझ में कुछ नहीं आया और वह उस हिरनी से पीछे रह गया राजा वीर प्रताप सिंह ने हिरण के बच्चे को पकड़ लिया
और उस हिरण कि छोटे बच्चे को उन्होंने अपने घोड़े के पीछे लाद दिया उसके बाद राजा वीर प्रताप सिंह हिरणी को ढूंढने के लिए जंगल में इधर उधर तलाश की परंतु हिरणी उन्हें कहीं पर भी नहीं मिली तो वह उस बच्चे को लेकर वापस अपने राज्य की ओर चल पड़े हिरनी ने यह सब कुछ झाड़ियों के पीछे छुप कर देखा
उसके बच्चे को शिकारी लिए हुए जा रहा था वह अपने बच्चे के मोह को रोक नहीं पाई और हिरणी झाड़ियों से बाहर निकल आई और राजा वीर प्रताप सिंह के घोड़े के पीछे पीछे चलने लगी
काफी दूर जाकर राजा वीर प्रताप सिंह ने देखा की उनके घोड़े के पीछे हिरनी दौड़ती हुई आ रही है उन्हें आश्चर्य हुआ और हिरनी की ममता को देखकर उन्हें दया आ गई उन्होंने हिरण के बच्चे को घोड़े से उतार कर आजाद कर दिया हिरणी बहुत ही प्रसन्न हुई अपने बच्चे के साथ फिर से जंगल की ओर चली गई उसी दिन राजा वीर प्रताप सिंह अपने घर में लौटकर रात्रि को जब सो रहे थे तो उन्हें एक सपना आया उन्होंने सपने में देखा की कोई फरिश्ता उनसे कुछ कह रहा है वह फरिश्ता बोला आज तूने एक मां से दुआ ली है तुमने एक मां के बच्चे को फिर वापस लौटा दिया उस ममता की आशीष से महान देवताओं ने तुम्हें राजा बनाने की सोची है आने वाले समय में तुम अवश्य ही राजा बनोगे और ऐसा ही हुआ राजा वीर प्रताप सिंह का सपना सच साबित हुआ और वह आगे चलकर बहुत अच्छे और बड़े राजा बने उन्हें एक जीव पर दया करने का यह फल मिला इस कहानी से हमें शिक्षा व प्रेरणा मिलती है कि जो जीवो पर दया करता है उनके प्रति दया और सम्मान का भाव रखता है उन पर भगवान अवश्य रूप से ही प्रसन्न होते हैं और उन्हें अच्छा जीवन मिलता है
0 Comments