दहेज मृत्यु पर संक्षिप्त टिप्पणी-short note on 'Dowry Death'
दहेज मृत्यु पर संक्षिप्त टिप्पणी-short note on 'Dowry Death |
भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 304ख में 'दहेज मृत्यु' (Dowry
Death) की परिभाषा दी गई है। इसके अनुसार-
जहाँ विवाह के सात वर्ष के भीतर किसी स्त्री की मृत्यु जल जाने से अथवा
शारीरिक क्षति से अथवा सामान्य परिस्थितियों से भिन्न हो जाती है और यह दर्शित किया
जाता है कि मृत्यु से ठीक पहले उसे उसके पति द्वारा अथवा पति के नातेदारों द्वारा दहेज
के लिए माँग को लेकर परेशान किया गया था अथवा उसके साथ निर्दयतापूर्वक व्यवहार किया
गया था तो इसे दहेज मृत्यु कहा जायेगा और उसकी मृत्यु का कारण उसके पति अथवा
नातेदारों को माना जायेगा।
| इस प्रकार दहेज-मृत्यु (Dowry Death) से अभिप्राय है किसी स्त्री का
। (i) विवाह के सात वर्ष के भीतर;
(i) दहेज की माँग को लेकर;
(i) मृत्यु से ठीक पहले परेशान या निर्दयतापूर्वक व्यवहार किये जाने से:
(v) जल जाने या शारीरिक क्षति वा असामान्य परिस्थितियों में भरा
उदाहरणार्थ-विवाह के छह माह के भीतर दहेज की माँग किये जाने, दहेज की
।
माँग को लेकर मृत्यु से ठीक पूर्व परेशान एवं निर्दयतापूर्वक व्यवहार किये जाने से विवाहिता
की मृत्यु हो जाना दहेज-मृत्यु है। (स्टेट ऑफ कनाटक बनाम एम.वी.मंजूनाथ, ए.आई।
आर. 2003 एस.सी. 809)।
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