प्रेरणादायक संदेश से पूर्ण कहानी
किसी एक गांव में एक किसान ने एक नेवला अपने घर में पाल रखा था | वह नेवला बहुत ही वफादार और चतुर था | एक दिन किसी कार्य के वजह से वह किसान शहर गया हुआ था | किसान की पत्नी ने अपने छोटी उम्र के बच्चे को दूध पिला कर झूले में सुला दिया ! और नेवले को वही घर पर छोड़ कर वह - रस्सी लेकर कुए की तरफ घर के लिए पानी भरने चली गई !
जैसे ही किसान की पत्नी घर से गई वहां पर कहीं से एक जहरीला भूरे रंग का सांप बिल के अंदर से बाहर निकल आया !
किसान की पत्नी ने बच्चे को जमीन पर ही कपड़ा बिछाकर सुलाया हुआ था ! और वह सांप बच्चे की और जैसे ही बढ़ रहा था , तो यह सब कुछ नेवले ने देखा ,
और नेवला उस पर पूरी ताकत से टूट पड़ा ,उसने सांप से जमकर टक्कर ली और सांप को अपने दांतो से काट काट कर मार डाला
,और नेवला घर के चौखट पर किसान की पत्नी का इंतजार करने लगा ! किसान की पत्नी कुछ देर बाद कुवे से पानी भरकर वापस घर लौट कर आई ,और जैसे ही वह घर की तरफ बढ़ी तो उसने घर के बाहर दरवाजे की चौखट पर नेवले को देखा
नेवले का मुह खून से सना हुआ देखकर वह घबरा गई , और उसने सोचा कि इस नेवले ने उसके बच्चे को काट लिया है ! दुख और गुस्से के मारे किसान की पत्नी ने अपने सर के घड़े को नेवले के ऊपर पटक दिया ! और घड़ा जैसे ही नेवले के ऊपर पड़ा नेवला व घड़े से दबकर कुचला गया ! और मर गया फिर वह किसान की पत्नी दौड़कर अपने बच्चे को संभालने के लिए घर में गई , और उसने पाया कि उसका बच्चा तो आराम से नींद में सो रहा है ! उसने पाया कि उस बच्चे के पास एक भूरे रंग का सांप कटा हुआ पड़ा है !
उसे अपनी भूल का बहुत बड़ा पश्चाताप हुआ ,किसान की पत्नी फिर वापस दौड़कर उसने वाले के पास गई , उसने वाले को उसने अपनी गोद में उठा कर रख लिया , और जोर-जोर से रोने लगी और सोचने लगी कि , जिस नेवले ने अपनी जान पर खेलकर उसके बच्चे को बचाया उसने वाले को उसने मार डाला ,परंतु अब पछताने और रोने का, कोई लाभ नहीं होने वाला था ! इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है की जल्दबाजी में किसी प्रकार का भी कोई भी काम ना करें सोचे-विचारे और उसके बाद ही अपने निर्णय और काम करें ।
किसी एक गांव में एक किसान ने एक नेवला अपने घर में पाल रखा था | वह नेवला बहुत ही वफादार और चतुर था | एक दिन किसी कार्य के वजह से वह किसान शहर गया हुआ था | किसान की पत्नी ने अपने छोटी उम्र के बच्चे को दूध पिला कर झूले में सुला दिया ! और नेवले को वही घर पर छोड़ कर वह - रस्सी लेकर कुए की तरफ घर के लिए पानी भरने चली गई !
जैसे ही किसान की पत्नी घर से गई वहां पर कहीं से एक जहरीला भूरे रंग का सांप बिल के अंदर से बाहर निकल आया !
किसान की पत्नी ने बच्चे को जमीन पर ही कपड़ा बिछाकर सुलाया हुआ था ! और वह सांप बच्चे की और जैसे ही बढ़ रहा था , तो यह सब कुछ नेवले ने देखा ,
और नेवला उस पर पूरी ताकत से टूट पड़ा ,उसने सांप से जमकर टक्कर ली और सांप को अपने दांतो से काट काट कर मार डाला
,और नेवला घर के चौखट पर किसान की पत्नी का इंतजार करने लगा ! किसान की पत्नी कुछ देर बाद कुवे से पानी भरकर वापस घर लौट कर आई ,और जैसे ही वह घर की तरफ बढ़ी तो उसने घर के बाहर दरवाजे की चौखट पर नेवले को देखा
नेवले का मुह खून से सना हुआ देखकर वह घबरा गई , और उसने सोचा कि इस नेवले ने उसके बच्चे को काट लिया है ! दुख और गुस्से के मारे किसान की पत्नी ने अपने सर के घड़े को नेवले के ऊपर पटक दिया ! और घड़ा जैसे ही नेवले के ऊपर पड़ा नेवला व घड़े से दबकर कुचला गया ! और मर गया फिर वह किसान की पत्नी दौड़कर अपने बच्चे को संभालने के लिए घर में गई , और उसने पाया कि उसका बच्चा तो आराम से नींद में सो रहा है ! उसने पाया कि उस बच्चे के पास एक भूरे रंग का सांप कटा हुआ पड़ा है !
उसे अपनी भूल का बहुत बड़ा पश्चाताप हुआ ,किसान की पत्नी फिर वापस दौड़कर उसने वाले के पास गई , उसने वाले को उसने अपनी गोद में उठा कर रख लिया , और जोर-जोर से रोने लगी और सोचने लगी कि , जिस नेवले ने अपनी जान पर खेलकर उसके बच्चे को बचाया उसने वाले को उसने मार डाला ,परंतु अब पछताने और रोने का, कोई लाभ नहीं होने वाला था ! इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है की जल्दबाजी में किसी प्रकार का भी कोई भी काम ना करें सोचे-विचारे और उसके बाद ही अपने निर्णय और काम करें ।
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